ई पाठ क्रियेटिव कॉमंस ऐट्रिब्यूशन/शेयर-अलाइक लाइसेंस के तहत उपलब्ध बा; अउरी शर्त भी लागू हो सकत बाड़ी स।
पू. पहली शताब्दी में आरंभ हो चुकी थी। इन जातकों का महत्त्व केवल इसीलिए नहीं है कि उनका साहित्य और कला श्रेष्ठ है, प्रत्युत् तीसरी शताब्दी ई.पू. की सभ्यता के इतिहास की दृष्टि से भी उनका वैसा ही ऊँचा मान है।
फारसी सम्राट, नादिर शाह ने भारत पर आक्रमण किया
यहां पर घरों पर पुताई होती थी और घर ईटों से बने होते थे।
महागरा (यूपी), हल्लूर (एपी), पैयमपल्ली (एपी), मस्की, कोडेकल, संगना कल्लर, उटनूर, टक्कला कोटा) महत्वपूर्ण नवपाषाण स्थल हैं।
अभिलेखों में प्रसंगतः सामाजिक तथा आर्थिक व्यवस्था का भी उल्लेख मिलता है। अशोक के अभिलेखों में शूद्र के प्रति उचित व्यवहार का निर्देश दिया गया है। गुप्तकालीन अभिलेखों में कायस्थ, चांडाल आदि जातियों का उल्लेख मिलता है। मनोरंजन के साधनों में मृगया, संगीत, द्यूतक्रीड़ा का उल्लेख है, कृषि, पशुपालन, व्यापार आदि का भी प्रसंग है। कुषाण तथा शक शासकों के अभिलेखों से ज्ञात होता है कि उन्होंने हिंदू धर्म, संस्कृति और भाषा से प्रभावित होकर हिंदू नामों और रीति-रिवाजों को स्वीकार कर लिया था।
वर्द्धन या वर्धन वंश तथा पुष्यभूति वंश
हम और हमारी आजादी (गूगल पुस्तक; अंग्रेजों के पूर्व से लेकर इक्कीसवीं सदी के आरम्भ तक भारत का इतिहास)
मुगल साम्राज्य के तहत व्यापार का विकास
सिंधु घाटी सभ्यता सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल
ब्राह्मण साहित्य प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्रोत हैं। यद्यपि भारत का प्राचीनतम् साहित्य प्रधानतः धर्म-संबंधी ही है, फिर भी ऐसे अनेक ब्राह्मण ग्रंथ हैं जिनके द्वारा प्राचीन भारत की सभ्यता तथा संस्कृति पर प्रकाश पड़ता है। ब्राह्मण साहित्य के अंतर्गत वेद, ब्राह्मण, उपनिषद्, more info महाकाव्य, पुराण, स्मृतियाँ आदि आती हैं। वे निम्नलिखित हैं-
वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट पारित किया गया
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन
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